Smalls

खामोश था कुछ समाँ
कुछ खामोश थे हम ।
खामोश सि थी कुछ खामोशियाँ
कुछ आँखे थी नम ।
खो गयी वो घडीयाँ जो अपनी होनी थी,
अश्कों ने केहेदी बातें जो लफ्जोंसे होनी थी ।
-निखिल देशमुख
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जुन्या वह्या खोलल्या की...
पहिली 100 150 पाने आपण काय "शिकलो" ते सांगतात आणि शेवटची 10,
काय "जगलो" ते.......

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आपल्या लेकराच रडणं थांबवायला, एक बाप फुगे घेत होता, एक देत होता.


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काश में गलत होता,
कुछ गलतिया जेहेनसे कर भी लेता,
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सजाः भुगतनेकी वजह तो मिल जाती l
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- निखिल देशमुख



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