ए गझल
ए गझल तू इतनी हसीन भी नही
के उसे तुझमे बयां कर पाऊ l
के उसे तुझमे बयां कर पाऊ l
ए बोली तू इतनी वासी भी नही
के तारीफ-ए-सनम मैं तुझमे लिख पाऊ l
के तारीफ-ए-सनम मैं तुझमे लिख पाऊ l
या खुदा
ये कैसी कश्मकश है ,
ये कैसी कश्मकश है ,
न गझल है ना बोली,
माझमून-ए-तारीफ अब लिखू कैसे l
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बोली : Language
वासी : Vast, huge
माझमून : Essay/Article
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February effect
After so many days
वासी : Vast, huge
माझमून : Essay/Article
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February effect
After so many days
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